इश्क मेरा पागलपन

दूर से देखा तो पेमान भरा था।।।।।।


जब होठों से लगाया तो खाली था ।।।।।।।

जिसे समझ बैठा मैं दरिया ……….

छी: वो तो केवल एक नाली था ।।।।।।।।

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